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पाकिस्‍तान के आका तुर्की पर FATF के प्रतिबंध का बड़ा खतरा, भारत को मिलेगी बड़ी जीत!

पाकिस्‍तान के बाद अब उसके धार्मिक आका तुर्की को भी फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से बड़ा झटका लग सकता है। आतंकियों के वित्‍तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में असफल रहने पर अब वैश्विक संस्‍था तुर्की को भी ग्रे लिस्‍ट में डालने को स्‍वीकृति दे सकती है। यह वही तुर्की है जिसने लगातार पाकिस्‍तान को ग्रे लिस्‍ट से निकालने का समर्थन किया है। एफएटीएफ के इस सख्‍त रूख से तुर्की को खुद को ही बचाना मुश्किल लग रहा है।

लंदन के फाइनेंशियल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक एफएटीएफ की समीक्षा में यह सुझाव दिया गया है कि तुर्की को भी विशेष निगरानी में रखे जाने की जरूरत है। इस पूरी प्रकिया को ग्रे लिस्‍ट में डालना कहते हैं। अगर ऐसा होता है तो तुर्की भी पाकिस्‍तान के साथ उन 22 देशों में शामिल हो जाएगा जिन्‍हें ग्रे लिस्‍ट में डाला गया है। इसमें शामिल अन्‍य देशों में सूडान, यमन, अल्‍बानिया, मोरक्‍को, सीरिया आदि शामिल हैं।
ग्रे लिस्‍ट में डालने की आशंका अब केवल औपचारिकता मात्र’

रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएटीएफ के 39 सदस्‍यों के इस सुझाव को मानने की पूरी संभावना है। वहीं अधिकारियों का कहना है क‍ि तुर्की को ग्रे लिस्‍ट में डालने की आशंका अब केवल औपचारिकता मात्र है। बताया जा रहा है कि तुर्की को ग्रे लिस्‍ट में डालने का औपचारिक ऐलान आज हो सकता है। वहीं भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि यह इस बात का एक और सबूत है कि किस तरह से तुर्की पाकिस्‍तान के साथ हाथ मिला रहा है।

भारत सरकार के सूत्र ने कहा, ‘हमारे पास सबूत है कि किस तरह से तुर्की पाकिस्‍तान के साथ मिलकर भारत विरोधी भावनाओं को भड़का रहा है। एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट यह साबित कर देगी क‍ि वे किसी तरह से अवैध गतिविधियों में शामिल होकर विश्‍व को अव्‍यवस्थित करना चाहते हैं।’ अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की में वर्तमान राष्‍ट्रपति एर्दोगान के शासन काल में विदेशी न‍िवेश पहले ही रसातल में पहुंच गया है।

विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना होगा मुश्किल
तुर्की अगर एफएटीएफ के ग्रे लिस्‍ट में जाता है तो उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। तुर्की को पाकिस्‍तान की तरह से अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे तुर्की की हालत और खराब हो जाएगी। दूसरे देशों से भी तुर्की को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है, क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है। बता दें कि पाकिस्‍तान का भी अगले साल तक ग्रे लिस्‍ट में बना रहना लगभग तय हो गया है।

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AKHIL CHAUHAN

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